लॉकडाउन के दौरान “रामनवमी” ध्यान कर के मनाई गई | Celebrating Ram Navami with a meditation during the lockdown

संस्कृति और समारोह | Published: | 1 min read


लॉकडाउन के दौरान “रामनवमी” ध्यान कर के मनाई गई | Celebrating Ram Navami with a meditation during the lockdown  

"राम का अर्थ है हमारे भीतर की आभा; स्वयं की ज्योति।"
श्री श्री ने सभी में मौजूद इस ज्योति का स्मरण और आह्वान करने के लिए एक निर्देशित ध्यान कराया।

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2 अप्रैल, 2020
बैंगलुरु, भारत

रामनवमी (भगवान राम का जन्मदिवस) के महत्व पर प्रश्नों का उत्तर देते हुए श्री श्री ने एक बार निम्न बातें साझा कीं थीं, जिसने भगवान राम के आस-पास की पौराणिक कथाओं का रहस्योद्घाटन किया:

  • राम का अर्थ है हमारे भीतर की आभा; स्वयं की ज्योति। हमारे हृदय में स्थित ज्योति को राम कहा जाता है। “राम नवमी” के दिन इस दिव्य आंतरिक ज्योति के जन्म का उत्सव मनाया जाता है।
  • भगवान राम का जन्म राजा दशरथ और रानी कौशल्या के यहाँ हुआ था।
  • कौशल्या का अर्थ है कौशल, और दशरथ का अर्थ है दस रथ वाला। हमारे शरीर में दस अंग हैं – पंच ज्ञानेंद्रियां (पाँच इंद्रियों का संदर्भ देते हुए) और पंच कर्मेन्द्रियां (पाँच कर्मों से संबंधित इंद्रियां, जिनमें दो हाथ, दो पैर, जननांग, उत्सर्जी अंग और मुँह शामिल हैं)।
  • सुमित्रा का अर्थ है, जो हर किसी के साथ मित्रवत हो।
  • कैकेयी का अर्थ है, जो हर किसी को हमेशा निस्वार्थ भाव से दे।
  • राम का अर्थ है आंतरिक ज्योति और लक्ष्मण (भगवान राम के छोटे भाई) का अर्थ है, सजगता। शत्रुघ्न (सुमित्रा के पुत्र और लक्ष्मण के जुड़वाँ भाई) का अर्थ है जिसका कोई शत्रु नहीं हो, या वह जो किसी तरह के विरोध का सामना न करता हो। भरत (कैकेयी के पुत्र) का अर्थ है प्रतिभाशाली।
  • अयोध्या (भगवान राम का जन्म स्थान) वह है जिसे नष्ट नहीं किया जाए।

कहानी का सार यह है: हमारा शरीर अयोध्या है, हमारे शरीर का राजा, पाँच ज्ञानेन्द्रियों और पाँच कर्मेन्द्रियों से संबंधित अंग हैं। शरीर की रानी कुशलता (कौशल्या) है। समान्यतः हमारी सभी इंद्रियां बहिर्गामी होती हैं, कुशलता का प्रयोग कर हम उन्हें भीतर लाते हैं, और तब वह दिव्य आंतरिक ज्योति जो कि भगवान राम हैं, हमारे भीतर उदित होते हैं।

जब अहंकार (रावण) ने मन (सीता) का अपहरण कर लिया तब दिव्य ज्योति (राम), सजगता (लक्ष्मण) के साथ मिल कर भगवान हनुमान (प्राण का प्रतीक) के कंधों पर उसे घर वापस लाते हैं। यह रामायण हमारे शरीर में हर समय घटित होती रहती है।

श्री श्री ने सभी में मौजूद इस ज्योति का स्मरण और आह्वान करने के लिए एक निर्देशित ध्यान कराया।

https://youtu.be/rVxV_AeizLE?t=263

भाषांतरित ट्वीट –
भगवान राम ने सदा बाकी सब बातों से ऊपर अपनी प्रजा के हितों का ध्यान रख कर निर्णय लिया। यद्यपि उन्होंने कभी प्रवचन नहीं दिए, पर उनके कालातीत आदर्श आज भी और आगे भी अनंत काल तक हमारा मार्गदर्शन करेंगे। आप सभी को शुभकामनाएं और आशीर्वाद।


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