ध्यान से मध्यस्थता तक – यूरोपीय संसद में संबोधन | From Meditation to Mediation - Address at the European Parliament
नेतृत्व और नैतिकता | Published: | 1 min read
ब्रुसेल्स के यूरोपीय संसद में अपने संबोधन के दौरान गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने 'ध्यान से मध्यस्थता तक' नामक कार्यक्रम में शांति पर आधारित अपने ध्यान प्रयोगों एवं अहिंसा पर आधारित अपने दृष्टिकोण के विषय में विचार साझा किया।
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ब्रुसेल्स के यूरोपीय संसद में अपने संबोधन के दौरान गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने ‘ध्यान से मध्यस्थता तक’ नामक कार्यक्रम में शांति पर आधारित अपने ध्यान प्रयोगों एवं अहिंसा पर आधारित अपने दृष्टिकोण के विषय में विचार साझा किया।
अयोध्या मामला जो कि भारत के इतिहास में सबसे संवेदनशील और लंबे समय से चल रहे विवादों में से एक है, के मध्यस्थों में से एक के रूप में अपनी भूमिका के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान क्या-क्या हुआ : राष्ट्रीय महत्व के एक मामले को पहली बार मध्यस्थता के लिए रखा गया था। अब तक मध्यस्थता संपत्ति के अधिकारों या कॉर्पोरेट मामलों के लिए रखा जाता था न कि इस तरह के किसी बड़े मुद्दे के लिए, जो कि सबसे बड़े लोकतंत्र के इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा।
इस मामले में कुल 25 पक्ष शामिल थे और हमने प्रत्येक को पूरे ध्यान से सुना। कोई समय सीमा नहीं थी। हमने पाया कि लोगों की सहयोग करने की इच्छा है। वे दूसरों के दृष्टिकोण पर भी विचार करने को इच्छुक हैं। वे सबकी बेहतरी के लिए आगे बढ़ने को तैयार हैं। एक सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण हो गया था। हम दोनों पक्षों के सैकड़ों धार्मिक नेताओं से मिले। सबने स्वीकार करने, देने और आगे बढ़ने के लिए माहौल तैयार करने में अपना योगदान दिया। इससे निर्णय का मार्ग प्रशस्त हुआ और हर एक ने इसका स्वागत किया। एक ऐसे ज्वलंत मुद्दे जिसने सदियों से छोटे-बड़े 71 युद्ध देखे, को अंत में विराम लग गया।
उपस्थित गणमान्य लोगों में गायत्री इस्सर कुमार, यूरोपीय संघ में भारतीय राजदूत, ज्योफ्री वैन ओर्डेन, यूरोपीय संसद के सदस्य (एमईपी), कटरीना बार्ली, वीपी ईयू संसद, जो लेइनन, पूर्व एमईपी, अलोज्ज पीटरल, स्लोवेनिया के पूर्व प्रधान मंत्री एवं एमईपी तथा डेस मेलबर्डे, एमईपी और पूर्व संस्कृति मंत्री, लातविया भी शामिल थे।
चाहे वह कश्मीर में शांति के लिए उनकी निरंतर व्यस्तता हो; या सात उत्तर पूर्वी राज्यों के 67 प्रमुख आतताइयों के समूहों को एक मंच पर ला कर सुलह और विकास का एक नया अध्याय शुरू करना हो ; अथवा शांति एवं न्याय के मध्य संतुलन का आह्वान कर कोलम्बियाई नागरिक संघर्ष में फार्क (FARC) विद्रोहियों को गांधी के अहिंसा का मार्ग अपनाने के लिए आश्वस्त करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाना, जिसके लिए उन्हें कोलंबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी प्रदान किया गया हो, श्री श्री रविशंकर अनेक बार राजनीतिक गहमा-गहमी एवं संघर्षों में भी संवाद के लिए स्थान का निर्माण कर ही देते हैं। ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से हर बार उनकी बात बन जाती है ?
यूरोपीय संसद के प्रमुख सदस्यों ने भी गुरुदेव द्वारा वैश्विक शांति के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार किया।
स्लोवेनिया के पूर्व प्रधान मंत्री और यूरोपीय संसद सदस्य आलोज पीटरले ने कहा कि “बहुत कम लोगों का मानना था कि यह (कोलंबियाई संघर्ष का समाधान) संभव है, परंतु यह संभव हुआ क्योंकि कोई (गुरुदेव) एक अलग दृष्टिकोण लेकर आया। यह दिल से संभव हो सका। जिन लोगों के भीतर शांति है, केवल वही लोग संसार के शांतिपूर्ण विकास को प्रभावित कर सकते हैं।‘’
डेस मेलबर्डे, एमईपी (यूरोपीय संसद सदस्य) और पूर्व संस्कृति मंत्री, लातविया ने कहा कि “हम कई देशों में शांति की संस्कृतियों की जड़ें पाई जा सकती हैं परंतु इसे फिर से खोज निकालने के लिए नए तरीकों की आवश्यकता पड़ेगी, और इसमें मदद करने के लिए हमें नए नेताओं की आवश्यकता है। और हमने आप (श्री श्री) के व्यक्तित्व में वह पा लिया है।‘’
प्रभावी मध्यस्थता के लिए क्या आवश्यक है, विषय पर बोलते हुए गुरुदेव ने कहा कि इसके लिए ध्यानकर्ताओं को ध्यान करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि “ध्यान तनावपूर्ण मन:स्थिति से बातों को समझने के हमारे मन के पैटर्न को बदल कर हमारे अवलोकनों, धारणाओं और अभिव्यक्ति में अधिक स्पष्टता लाता है। चाहे मध्यस्थता करने वाला हो अथवा संघर्ष में रहने वाला, यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति ध्यान करने के लिए, मनन-चिंतन करने के लिए और कुछ देर विश्रांति के लिए अवश्य निकाले।‘’
गुरुदेव ने यह भी बताया कि मध्यस्थता किसी निर्णय या डिक्री को पारित करने से अलग होती है। इसके लिए, उन्होंने चाकू से सेब काटने का उदाहरण दिया। निर्णय में एक चाकू से किसी सेव को दो हिस्सों में काट कर इसके लिए लड़ रहे दो लोगों में बॉंटना होता है परंतु मध्यस्थता करने वाला सेव स्वयं नहीं काटता है। एक मध्यस्थ के रूप में मैं इसमें शामिल पक्षों को चाकू देता हूँ और सही (उचित) विकल्प बनाने में उनके साथ मिल कर कार्य करता हूँ। दो पक्षों को एक मंच पर साथ ला कर खोए हुए विश्वास का पुनर्निर्माण कराना बहुत चुनौतीपूर्ण है परंतु असंभव नहीं है। ऐसा करने के लिए सबसे पहले हमें स्वयं बेहद शांत एवं अविचलित अवस्था में रहना होगा।”
#Meditation for #Mediation : excellent session with SriSri #Ravishankar in the #EP in #Bruxelles pic.twitter.com/dBrlZsC3Al
— Jo Leinen (@jo_leinen) November 12, 2019
Often, those who have power do not have patience & those who have patience are powerless. If you have both patience & power, you can make any mediation successful.
Gave an address on 'From Meditation to Mediation' at the European Parliament. pic.twitter.com/dv35vdP8hW
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) November 12, 2019
Had fruitful discussions with two Vice Presidents of European Parliament, Ms. Mairead McGuinness and Ms. Katarina Barley. Also met Ex-President of EPP Mr. Jerzy Buzek and several MEPs, individually and collectively. pic.twitter.com/PrpFC2ZQCL
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) November 12, 2019
पोप के निमंत्रण पर गुरुदेव ‘प्रमोटिंग डिग्निटी ऑफ चाइल्ड’ सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार एवं शुक्रवार को वेटिकन भी जा रहे हैं।
भाषांतरित ट्वीट – @srisri
अक्सर, जिनके पास शक्ति होती है उनके पास धैर्य एवं नहीं होता है; जिनके पास धैर्य है वे शक्तिहीन होते हैं।
यदि आपके पास धैर्य और शक्ति दोनों है; तो आप किसी भी मध्यस्थता को सफल बना सकते हैं।
यूरोपीय संसद में ‘ध्यान से मध्यस्थता तक’ पर एक संबोधन दिया।
यूरोपीय संसद के दो उपाध्यक्षों, सुश्री मैरिएड मैकगिनेंस एवं सुश्री कटरीना बार्ली के साथ उपयोगी चर्चा हुई। इसके अलावा ईपीपी के पूर्व अध्यक्ष श्री जेरज़ी बुज़ेक एवं अन्य अनेक एमईपी से व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से मुलाकात भी हुई।
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