विविधता में शक्ति: पूर्वोत्तर स्थानीय जन सम्मलेन | Strength in Diversity: North East Indigenous People’s Conference
शांति की पहल | Published: | 2 min read
सम्मलेन के पूरे दिन के विचार विमर्श गुवाहाटी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुए, जो कि आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रतिनिधियों एवं अन्य सम्मलेन सहभागियों, जैसे कि संयोजक मंडल, एवं पूर्वोत्तर राज्य के भाषायी, आदिवासी एवं विद्रोही समूहों के बीच था। सभी ने क्षेत्र के स्थानीय एवं संजातीय समूहों को साथ लाने के लिए, तथा पूर्वोत्तर में शांति, समृद्धि एवं ख़ुशी लाने के लक्ष्य के लिए संकल्प लिया।
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गुवाहाटी, असम, भारत
सितम्बर ७, २०१७
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने आज यह इच्छा जताई, कि यदि कोई भूमिगत समूह मुख्यधारा में आना चाहते हैं, तो वे इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम (उल्फा) के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में मीडिया को संबोधित करते हुए यह कहा।
गुरुदेव ने कहा, “अभी तक कई युवाओं ने यह इच्छा जताई है, क़ि अगर सरकार उनके साथ एक सम्मान्नीय समझौता करे, तो वे मुख्यधारा में आने के लिए तैयार हैं। और जिन ६९ युवाओं ने हमारी मध्यस्थता से मणिपुर में प्रत्यर्पण किया है, सरकार उनके मामले को कैसे संभाल रही है, इस पर भी वे युवा दृष्टि बनाये हुए हैं। आर्ट ऑफ़ लिविंग अपना काम तब तक करता रहेगा, जब तक अंतिम हथियार ना छोड़ दिया जाए।” उन्होंने यह भी बताया कि आर्ट ऑफ़ लिविंग क्षेत्र के कई समूहों के साथ संपर्क में है।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि क्षेत्र में जो भी मसले हैं, उन पर बातचीत करने के लिए, विविध समूह एक मंच पर साथ आये हैं। उन्होंने कहा, “विचारों में मतभेद है, और मैं इसे एक अच्छा संकेत समझता हूँ। एक बार शांति का मूल सिद्धांत स्थापित हो जाए, उसके बाद सभी मतभेदों को मिटाया जा सकता है।”
इसके पहले, विविधता में शक्ति: पूर्वोत्तर स्थानीय जन सम्मलेन में मुख्य संबोधन देते हुए, उन्होंने कहा, “यह पूर्वोत्तर के लिए एक नयी शुरुआत है। ऐसा पहली बार हुआ है कि इतने विविधता पूर्ण क्षेत्र में लोग फिर से एक साथ आये हों।”
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों, जिनको दशकों से इतनी पीड़ा भुगतनी पड़ी है, उनके लिए उनकी पूरी सहानुभूति है। उन्होंने यह भी कहा कि, हालांकि उग्रवाद में गए हर समूह का उद्देश्य समृद्धि एवं कल्याण ही रहा है, लेकिन यह हिंसा से कभी प्राप्त नहीं हो सकता है, यह सिर्फ सहयोग से ही आएगा। सिर्फ यही समझ इस क्षेत्र के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है।
इस सम्मलेन में विभिन्न व्यवसाय के प्रमुखों ने सहभागिता की, जिनमें ऐसे प्रमुख भी शामिल थे जिन्होंने पूर्व में हथियार भी उठाये थे। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम (उल्फा) के मुख्य सचिव अनूप चेतिया की अगुवाई में, कई भूतपूर्व भूमिगत प्रधान इस सम्मलेन के संयोजक थे। इसके अलावा मुख्य लोगों में, २०१३ में प्रत्यर्पण कर चुके असम के उग्रवादी संगठन त्रिपुरा राष्ट्रीय स्वयंसेवी के प्रमुख बिजॉय कुमार रंगख्वाल, एवं दीमा हलाम दाओगाह के दिलीप नुनिसा भी शामिल थे।
सम्मलेन में अन्य प्रमुख नेताओं के साथ, अनूप चेतिया ने, क्षेत्र के प्रति गुरुदेव की रूचि एवं प्रतिबद्धता की सराहना की, एवं साथ मिलकर क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि लाने के लिए संकल्प लिया।
इस सम्मलेन में नागालैंड के कई प्रधान शामिल थे, जैसे कि एनएससीएन (आईएम) के पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वी. एस. अटेम एवं अन्य सामाजिक, संजातीय, भाषायी एवं धार्मिक समूहों के प्रमुख।
मेघालय के पूर्व राज्यपाल आर एस मूशाहरी भी उपस्थित थे, एवं उन्होंने गुरुदेव को शांति दूत कहकर उनका अभिवादन किया।
सम्मलेन के पूरे दिन के विचार विमर्श गुवाहाटी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुए, जो कि आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रतिनिधियों एवं अन्य सम्मलेन सहभागियों, जैसे कि संयोजक मंडल, एवं पूर्वोत्तर राज्य के भाषायी, आदिवासी एवं विद्रोही समूहों के बीच था। सभी ने क्षेत्र के स्थानीय एवं संजातीय समूहों को साथ लाने के लिए, तथा पूर्वोत्तर में शांति, समृद्धि एवं ख़ुशी लाने के लक्ष्य के लिए संकल्प लिया।
गुरुदेव अब अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करेंगे, जहाँ पर वे भारत-चीन सीमा स्थित तवंग शहर में मैत्रेय दिवस समारोह में भाग लेंगे। इसके साथ ही, वे अरुणाचल प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे, जिनमें वहां के मंत्रियों, विधायकों एवं अधिकारियों के लिए संबोधन भी शामिल है।
Strength in Diversity Conference
भाषांतरित ट्वीट –
पूर्वोत्तर भारत में शांति और समृद्धि के लिए एक साथ आए विभिन्न समूहों के
युवा नेताओं का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ। #NERising
पूर्व-उल्फा युवाओं से मिलना और बैंगलोर आश्रम में विजिट के बाद उनके जीवन
में हुई प्रगति के बारे में सुनना वास्तव में एक बेहद भावपूर्ण जुड़ाव था।
(1) #NERising
उनमें से हर एक के पास यह बताने के लिए एक रोमांचक कहानी है कि उन्होंने
जंगलों में अपने 20 साल कैसे गुजारे। (2) #NERising
पूर्वोत्तर भारत में पहली बार, विभिन्न विचारधाराओं के 67 समूह जिनमें से
अनेकों ने उग्रवाद का सहारा लिया था, अब शांति के लिए एक साथ आए हैं।
#NERising
सम्मेलन के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति एस.एन.फूकन (सुप्रीम कोर्ट), आर.एस.मुशारी
(मेघालय के पूर्व गवर्नर) एवं अन्य अनेक विद्वानों ने इस पहल का समर्थन किया। # NERising
यह एक ऐतिहासिक अवसर है क्योंकि बंदूकें और बम, माला और गुलदस्ते द्वारा प्रतिस्थापित किए जा रहे है; निराशा एक उज्जवल भविष्य के लिए आशा से बदल जाती है। #NERising
हम इन संगठनों, जिन्होंने इस लंबे संघर्ष में अपने हजारों युवाओं को खो दिया
है, द्वारा हमारे ऊपर किए गए विश्वास के लिए अभीभूत हैं। #NERising
हमारे स्वयंसेवकों द्वारा वर्षों तक की गई कड़ी मेहनत ने शांति स्थापित करने
के एकल एजेंडे की राह में उत्तर पूर्व के पथभ्रष्टों का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य किया है। # NERising
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